धान की फसल में पत्तियां हो रही है पीली तो करे ये ईलाज। जानें क्या है कारण एवम् क्या करे ईलाज।
धान की फसल में पत्तियां हो रही है, बासमती चावल इस समय तकरीबन 50 से 55 दिन की हो चुकी है, एवम् इस समय बालियां निकलने के काफी करीब पहुंच चुकी है, ऐसे में इस समय कई प्रकार की बीमारियां भी होने का खतरा बना हुआ है इस समय प्रमुख रूप से देखा गया है कि धान की ऊपरी पतिया सूखकर पीली पड़ने लगती है, एवम् खेत भी सूखने जैसा लगता है , ऐसे में किसानों में अनेक भ्रांतियां फैलने लगती है कि पता नहीं ये कोन सी बीमारी धान में आ गई है एवम् इससे खेत में कीतना नुकसान हो सकता है, तो साथियों इस बीमारी के कारण लक्षण एवम् उपाय आज हम जानेंगे।
धान की फसल में पत्तियां हो रही है पीली,कोन सी है ये बीमारी
दोस्तो धान की पत्तियां सूखने का प्रमुख कारण इसमें एक प्रकार की बीमारी है जिसे बैक्टीरिया कहा जाता है, इस बीमारी को कई प्रकार के नाम से जाना गया है जैसे पत्ती झुलसा रोग,Blb यानी बैक्टीरियल लीफ ब्लाइंट आदि,। यह बीमारी उसे समय खेलने लगते हैं जब 25 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान हो एवं 70 फ़ीसदी तक नमी वातावरण में उपलब्ध हो। यह रोग पौधे के ऊपर से शुरू होकर नीचे तने तक पहुंच जाता है एवं धीरे-धीरे वह देखो पूर्ण रूप से सुख देता है एवं पौध पूर्ण रूप से खत्म होने की कगार पर पहुंच जाता है यह रोग धान की फसल को 25 से 50 फीसदी तक नुकसान पहुंचा सकता है।
कैसे करें पहचान
इसकी पहचान के लिए कुछ साधारण खेत में जाकर देखे जा सकते हैं जैसे पौधे के ऊपरी नोक का पीला हो जाना, वीडियो पर भूरे रंग की धारियां दिखाई देना, पत्तियों का मुरझाना एवं सुख जाना, रोग से ग्रस्त भाग को काटने पर गाड़ी रंग का पानी होना आदि प्रमुख इसके लक्षण है।
बैक्टिरियल लीफ ब्लाइंट (BLB)रोग का ईलाज कैसे करे?
रोगी पौधो पर 400 ग्राम कॉपर ऑक्सिक्लोराइड (50%) का छिड़काव प्रति एकड़ 150 लिटर पानी में मिलाकर करे। 10 से 12 दिन बीतने के बाद इसने 12 से 15 ग्राम स्ट्रेपटॉसाइकिलिन का स्प्रे करें। खरपतवार नियंत्रण हेतु उपाय करे एवम् यूरिया के इस्तेमाल से बचे। कुछ समय के लिए बिल्कुल पानी न दे एवम् उसके हफ्ते बाद इसमें सिंचाई के साथ 2 किलो ब्लीचिंग पाउडर डालकर सिंचाई करे।
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निष्कर्ष: धान में पीली पतियां होने के कारण एवम् उपाय के बारे में हमने विस्तार से जानकारी दी, यह जानकारी अनेक स्त्रोतों जैसे इंटरनेट एवम् जानकारों से प्राप्त कर आप तक पहुंचाए गए हैं, ताकी सही तरीके से अपनी फसल में इस प्रकार की बीमारी के प्रति किसान जागरूक हो।